कुछ खास नहीं, बस आम सी बातें,आम से जीवन की, जो मन से फिसल कर निकली हैं...
सरपट दौड़ती ज़िंदगी के,
छालों भरे पांव से लिपट गयी मैं,
रुको !दो घड़ी,
कुछ सांस ले लें,
हम भी, तुम भी,
कुछ गुफ्तगू कर लें,
हम भी,तुम भी
आगे भी क्या बेदम दौड़ना है?
या फिर समय की गति को तोड़ना है?
हांकती गयी तुम,
और मैं भी दौड़ी बदहवास,
सोचा कम और भागी ज़्यादा,
कभी ठिठकी, तो ठेल दिया,
कभी मुड़ी, तो धकेल दिया,
कभी दोराहों पर भटकाया,
कभी पतली गली में पटकाया,
कभी मकां छुटा, कभी साथी,
कभी दीया गिरा ,कभी सरकी बाती,
भीड़ बहुत थी,
क्या दूल्हा! क्या बाराती!
मुखौटे सभी सजे हुए,
खिलाड़ी सारे मंजे हुए,
मुस्कान थी ,या नश्तर की धार?
नृत्य या धोबी पछाड़?
अजीब अंदाज़ था टोकने का,
हरी झंडी की आड़ में रोकने का,
भलाई और भरोसा कब का राह छोड़ गए,
सच्चाई और शर्म कब का मुँह मोड़ गए,
अब सांझ के झुटपुटे में थोड़ी रोशनी उधार लें,
अपनी झुर्रियों के साये में बैठ पांव पसार लें,
गिले शिकवे सब बिसार लें,
मेरी आंखों में मोती,
तुम्हारे बालों में चांदी,
अपनी अमीरी के साथ ,
आहिस्ता चलते हैं!
हम भी ,तुम भी,
हाथों में हाथ डाले,
जब तक हाथ छूट न जाये!!
Shandar rachna hamesha ki tarah Rashmi ... Chhaya
ReplyDelete....
धन्यवाद छाया। तुम सराहने वालों की पंक्ति में हमेशा आगे रहती हो
Deleteपढ़कर मन आह्लादित हो उठा
ReplyDeleteआभार,🙏
DeleteExcellent expression! मन की बात कितनी सरलता से कह गई Sabina
ReplyDeleteधन्यवाद सबीना। बात पेचीदा तो तब होती है, जब वो मन की नहीं होती !☺️
Deleteतुमने बहुत अच्छा लिखा है रश्मि
ReplyDeleteLife described beautifully.Stir you,make you smile,make you sad. बहुत सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद देवब्रत। कभी खुशी ,कभी ग़म।🙏😁
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteह्म्म्म। नटखट जिंदगी के लुका छिप्पी जैसे खेल का एक दिलचस्प विवरण
ReplyDeleteआभार भैया।🙏
Deleteगुफ्तगू करते बीत जाए jindigi।कुछ मेरी सुनो कुछ तेरी।सुंदर रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद नीरू दी। कम हम कहें, कुछ तुम कहो !
DeleteSo beautiful.
ReplyDeleteआम सी बातें बहुत खास बनकर निकली है रश्मि, निरंतर इसी तरह निकलती रहे, मीना बिरुवा
ReplyDeleteआम को खास तुम जैसे पाठक बनाते हैं। धन्यवाद मीना
Deleteबिल्कुल सही चित्रण जीवन का। राजीव झा।
ReplyDeleteBeautiful! - Sujata
ReplyDeleteVery well written Rashmi! Life is a kaleidoscope which you have captured very well! What is left at the end are memories- some bitter some sweet ! Best is to savour them all in the evening of one’s life 😊
ReplyDeleteYes Shashank...better to leave with a sweet taste !
DeleteThank you.
वाह Rashmi टेढ़ी ज़िन्दगी की बात इतनी सरलता से लिख डाली …👌👌👌अति सराहनिये 👍👍🌺🌺🌺। Daisy
ReplyDeleteधन्यवाद डेज़ी...लिखना आसान है ☺️!
Deleteभावों की जीवंत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह! गुफ्तगू जिंदगी से,
ReplyDeleteनिहायत संजीदगी से।
शुक्रिया🙏
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 01 अगस्त 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
आपका अत्यंत आभार जो इस आम सी गुफ्तगू को इस लायक समझा !
Deleteइस गुफ्तगू पर मैंने भी कुछ लिखा था ....दिख नहीं रहा .
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना ❣️
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय रश्मि जी।कभी -कभी जिन्दगी से कुछ प्रश्न और खुद ही उनका समाधान करना अच्छा लगता है।आखिर भागमभाग में हर किसी को सुकून के दो पलों की उम्मीद तो बनी ही रहती है।हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 🙏🙏🌹🌹
ReplyDeleteधन्यवाद रेणु जी।फुरसत के पल की तलाश तो रहती है जीवन के इस पड़ाव पर।😊
Deleteजिन्दगी की भागदौड़ को बड़ी ही संजीदगी से परिभाषित किया है ।बधाई रश्मि जी ।
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी। भाग दौड़ जीवन का पर्याय बन गयी है।
Deleteभाग-दौड़ से भरी ज़िंदगी में सुकून तलाशती सुंदर रचना रश्मि जी।
ReplyDeleteसादर।
धन्यवाद श्वेता जी।हम कामकाजी महिलाओं पर विशेष लागू होती हैं ये बातें।
Deleteऔर मैं भी दौड़ी बदहवास,
ReplyDeleteसोचा कम और भागी ज़्यादा,
कभी ठिठकी, तो ठेल दिया,
कभी मुड़ी, तो धकेल दिया,
कभी दोराहों पर भटकाया,
कभी पतली गली में पटकाया,
कभी मकां छुटा, कभी साथी,
कभी दीया गिरा ,कभी सरकी बाती,….
जीवन की धूप छाँव का बहुत सुन्दर वर्णन 👌👌
आभार !🙏
Deleteअपनी अमीरी के साथ ,
ReplyDeleteआहिस्ता चलते हैं!
हम भी ,तुम भी,
हाथों में हाथ डाले,
जब तक हाथ छूट न जाये!!
--------------------
वाह! बहुत खूब। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। सादर।
आभार।🙏
DeleteNice simple unblemished flow of words, woven into a poem that brings out the simplicity of your thoughts and emotions. Good writing ✍ 👍
ReplyDeleteThanks Rajnish. Simple person...simple language.😊
DeleteA pleasure to read your thoughts Rashmi. 🤗 Hugs, Umang
ReplyDeleteThanks Umang. Guess some of us are in the same boat.
DeleteBeautiful Expression Rashmi ,Shobha
ReplyDeleteThanks Shobha.🙏
Deleteअब सांझ के झुटपुटे में थोड़ी रोशनी उधार लें,
ReplyDeleteअपनी झुर्रियों के साये में बैठ पांव पसार लें,
वाह!!!!
अपनी अमीरी के साथ ,
आहिस्ता चलते हैं!
हम भी ,तुम भी,
हाथों में हाथ डाले,
जब तक हाथ छूट न जाये!!
हाथ छूटते ही साथ और शिकवे सब छूट जाने हैं अमीरी भी।
बहुत ही सुन्दर रचना ।
धन्यवाद सुधा जी। सही फरमाया, इसलिए तब तक अपनी अमीरी का लुत्फ, बिना शिकवा ले लें !☺️
DeleteThis is life.Rarely any two points in life is a straight line. Life is an unbroken chain of problems seeking solution.Take in strides with a smile on your face not frown because frown hams you more than frowned
ReplyDeleteLife lessons from my father.(You forgot to identify yourself!!☺️)
DeleteThank you.🙏🙏
वाह…बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !
ReplyDeleteजिन्दगी इन प्रश्नों का उत्तर शायद कभी नहीं देती बस हमारा मन हल्का हो जाता है यूँ बरस कर।फिर से पढ़ा,अच्छा लगा।अभिनंदन प्रिय रश्मि जी ❤
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लेख ।
ReplyDeleteग़र किसी का साथ हो
ReplyDeleteहाथों में हाथ हो
ज़िंदगी में चाहे जितनी भी भागम भाग हो
ख़ुशनुमा होगा ये सफ़र
गर किसी का हाथ
तेरे हाथ में हो
बहुत ही पप्यारा ज़िंदगी का फसाना😍😍👌👌👌👌👏👏👏👏👏💕
सही फरमाया । अच्छा साथ ,किसी भी सफर को आसान और सुहाना बना देता है।🙏
DeleteAmit Ranjan
ReplyDelete